ट्रस्ट / न्यास के उद्देश्य

1- बिना लिंग भेद किये सबके लिए प्राथमिक पाठशाला, जूनियर हाईस्कूल, इण्टरमीडिएट कालेज, महाविद्यालय, विधि महाविद्यालय, शिक्षा एंव प्रशिक्षण संस्थान, शिक्षा संकाय, शारीरिक शिक्षा संकाय, पुस्तकालयों, वाचनालयों, प्रयोगशालाओं, चिकित्सालयों, अनाथालयों, वृद्धा आश्रमों, अनुसंधान केन्द्रों, छात्रावासों, कम्प्यूटर केन्द्रों, सर्वेक्षण केन्द्र, सामुदायिक विकास केन्द्रों, पर्यावरण केन्द्रों की स्थापना करना प्रबन्धन संचालन आदि की आवश्यकता होने पर विभिन्न परिषदों, विभागों, प्रतिष्ठानों, संस्थाओं, स्थानों, शासन आदि से मान्यता सम्बद्धता, आबद्धता, पंजीकृत, अनुमोदित, स्वीकृत करा सकना।

2. ट्रस्ट द्वारा केन्द्रीय शिक्षा बोर्ड, सेन्ट्रल बोर्ड आफ सेकेण्ड्री एजूकेशन, उ० प्र० माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, मुक्त शिक्षण संस्थान आदि संस्थानों से मान्यता लेकर विद्यालय संचालित करना।

3. ग्राम विकास अभिकरण गतिविधियों का संचालन करना।

4. खादी ग्रामो उद्योग बोर्ड की योजनाओं का संचालन करना।

5. कृषि कार्य हेतु बंजर भूमि का सुधार एवं कटाव रोक कर जल संरक्षा एवं नमी संरक्षण करना।

6. उद्यानीकरण एवं जंगल का विकास करना।

7. महिला बाल विकास एवं स्वास्थ्य सहयोग हेतु विविध कार्यक्रम संचालित करना।

8. प्रतियोगात्मक परीक्षाओं की तैयारी हेतु संस्थाओं की स्थापना करना।

9. कृषि, संगीत सम्बन्धित आदि विषयों की शिक्षा तथा उसके विकास हेतु संस्थान की स्थापना करना।

10. केन्द्र सरकार के सभी विभागों मानव संसाधन, समाज कल्याण, नाबार्ड, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, समाज कल्याण सलाहकार बोर्ड, महिला कल्याण, नेहरू युवा केन्द्र, खेलकूद, युवा कल्याण एवं ग्राम विकास मंत्रालय आदि सभी विभागों के कार्यक्रमों का संचालन करना।

11. आई०आई०टी०, आई०टी०आई०, फार्मेसी, नर्स ट्रेनिंग, आपरेशन टेक्निशियन, लैब टेक्निशियन, फिजियोथेरेपी आदि मेडिकल तथा पैरा मेडिकल कालेजों, पालिटेक्निक कालेज, इंजीनियरिंग, बी० फार्मा, एम० फार्मा, कौशल विकास केन्द्र आदि कालेजों की स्थापना एवं संचालन करना।

12. समाज के लोगों के लिए हास्पिटल, नर्सिंग होम, स्वास्थ्य केन्द्र, मेडिकल स्टोर, जनरल स्टोर, किराना की दुकान, फोटो स्टेट, कम्पनी फर्म इत्यादि की व्यवस्था करना।

13. पुस्तकालय, वाचनालय, पत्र / पत्रिकाओं, समाचार पत्रों इत्यादि की प्रकाशन, मुद्रण, बिक्री एवं मूल्य का निर्धारण करना।

14. अन्धे, गूंगे, बहरे, असहाय लोगों के लिये शिक्षा चिकित्सा, आवास, भोजन इत्यादि की व्यवस्था करना।

15. विभिन्न विषयों एवं पाठ्यक्रमों तथा व्यवहारिक प्रयोगिक कला, वाणिज्यिक, वैज्ञानिक, क्रीडा, मार्शल आर्ट, संगीत, तकनीकी, सामाजिक, आधुनिक भाषा अंग्रेजी, उर्दू, कम्प्यूटर, प्रोफेशनल आदि विषयों का विभिन्न स्तरीय शिक्षा प्रदान करने का प्रबन्ध करना।

16. विभिन्न प्रतियोगिताओं एवं प्रतिस्पर्धा परीक्षाओं में छात्र-छात्राओं को सफल बनाकर स्वावलम्बी बनाने हेतु उनके अध्ययन, अध्यापन, आवास आदि संविधाओं का व्यवस्था करना।

17. पुस्तकों, साहित्य पत्रों, पाठ्यक्रमों आदि का सृजन, सम्पादन, प्रकाशन, मुद्रण, वितरण आदि कर सकना व ग्रन्थालय तथा पब्लिक लाइब्रेरी स्थापित करना।

18. सांस्कृतिक कार्यक्रम, पर्यावरण कार्यक्रम, स्वास्थ्य जागरूकता गोष्ठियाँ, सम्मेलन प्रतियोगिताएं, बैठकें, विशेष कक्षाएं, सत्र प्रोत्साहन कार्यक्रम आदि आयोजित कर सकना।

19. सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, स्क्रिीन प्रिटिंग आदि की शिक्षा एवं व्यवस्था करना।

20. व्यक्ति विशेष अन्य सोसाइटी ट्रस्ट द्वारा संचालित विद्यालयों, महाविद्यालयों, विधि महाविद्यालयों, मेडिकल कालेज, इंजीनियरिंग कालेजों को अपने ट्रस्ट में समायोजित कर सकना एवं किसी भी पंजीकृत सोसाइटी को इस ट्रस्ट में समायोजित कर सकना।

21. ट्रस्ट के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु विभिन्न राष्ट्रीय हेतु अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों संस्थाओं, व्यक्तियों से सहयोग प्राप्त कर सकना अथवा प्रदान कर सकना।

22. विधि सम्मत उपयोगी जानकारी का प्रचार एवं प्रसार करना।

23. आयुर्वेदिक औषधियों का उत्पादन करना एवं उसका प्रचार-प्रसार करना।

24. कृषि उपयोगी कार्य कर सकना व उसका प्रचार-प्रसार कर सकना। पर्यावरण को सुधारने हेतु प्रयास कर सकना एवं पर्यावरण संसाधन हेतु जानकारी दे सकना एवं सेमिनार कर सकना।

25. स्वास्थ्य जागरुकता के बारे में जन जागरण करने हेतु प्रचार-प्रसार कर सकना।

26. पुस्तक, पुस्तिकाएं, पत्र, पत्रिकाएं, समाचार-पत्र आदि को प्रकाशित, सम्पादित वितरित, बिक्री कर सकना।

27. ट्रस्ट द्वारा दी जा रही सेवाओं / वस्तुओं के लिए समुचित शुल्क / मूल्य निर्धारित करना तथा प्राप्त कर सकना।

28. पत्राचार द्वारा अध्यापन, अध्ययन को प्रोत्साहित कर सकना तथा तत्सम्बन्धी आवश्यक व्यवस्थायें कर सकना ।

29. उपभोक्ता अधिकार, पर्यावरण सुधार, ऊषर सुधार जैसे सामाजिक दायित्व के विषयों पर चेतना जागृत करने हेतु कार्य कर सकना।

30. धार्मिक स्थलों का निर्माण एवं जीर्णोद्वार कर सकना।

31. जन कल्याण हेतु विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर सकना तथा क्रियान्वयन कर सकना।

32. विभिन्न आयोजनों एवं कारणों हेतु छात्रवृत्ति हेतु पुरस्कार, सहायता एवं वित्तीय सहायता, स्मृति चिन्ह आदि प्रदान कर सकना।

33. विभिन्न संस्थाओं, विद्यालयों, महाविद्यालयों, विधि महाविद्यालयों, मेडिकल कालेज, इंजीनियरिंग कालेजों, टेक्निकल कालेजों, प्रतिष्ठानों के विशेषाधिकार प्राप्त कर सकना तथा अपने विशेषाधिकार अन्य हो प्रदान कर सकना।

34. ट्रस्ट के कोष एवं सम्पदा में वृद्धि करना, विनियोजन करना तथा उसका ट्रस्ट के उद्देश्यों में प्रयोग करना।

35. ट्रस्ट जन सामान्य के लिए कार्य करेगा। ट्रस्ट हर सम्भव अपनी सेवाएं / वस्तुएं लागत मूल्य पर ही देने का प्रयास करेगा। ट्रस्ट द्वारा जनहित में सड़क, खड़ंजा, तालाबों का निर्माण, मछली पालन, पशुपालन आदि का प्रयास करना।

36. ट्रस्ट केवल वित्तीय लाभ के लिए ही कार्य नहीं करेगा। जन कल्याण की भावना एवं ट्रस्ट के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कार्य करेगा।

37. ट्रस्ट अपने समस्त आय एवं लाभ कालान्तर एवं ट्रस्ट के उद्देश्यों की पूर्ति करने हेतु ही व्यय करेगा।

38. किसानों के उत्थान एवं विकास हेतु पाली क्लीनिक का निर्माण करना।

39. किसानों के उत्थान एवं विकास हेतु नवीन बीजों की जानकारी देना। फल एवं औषधि खेती के विषय में जानकारी देना एवं उत्पादन किये गये माल का आयात व निर्यात करना।

40. संगठन को मजबूत एवं क्रियाशील बनाने के लिए जिला, प्रदेश, देश स्तर पर पदाधिकारियों का चयन करना एवं अधिकार देना।

41. दलित, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों का संगठन बनाकर समाज में फैली बुराईयों / कुरीतियों को दूर करना एवं सामाजिक स्तर, राजनैतिक स्तर, आर्थिक स्तर को मजबूर बनाना।

42. धरना प्रदर्शन, कार्यक्रम, गोष्ठी, सम्मेलन, सेमिनार वार्षिक अधिवेशन के माध्यम से अपनी बात प्रशासन तक पहुँचाना।

43. शिक्षण व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए हास्टलों का निर्माण करना।

44. सेक्योरिटी गार्ड का प्रशिक्षण देना तथा उनकों रोजगार उपलब्ध कराना।

45. मानव अधिकार, मूल अधिकार, प्राकृतिक अधिकारों सहित संवैधानिक उपबन्धों के संरक्षण व प्रसार, संगोष्ठी, सेमीनार, कार्यशाला का आयोजन करना।

46. लोक अदालत व पंचायत न्याय प्रणाली का प्रसार व निःशुल्क विधिक परामर्श की व्यवस्था करना।'

47. सामाजिक, शैक्षिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के संचालन हेतु सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा अनुदान प्राप्त करना।

48. आयकर अधिनियम व तत्समय प्रचलित विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए कर छूट हेतु दान, चन्दे, अनुदान आदि लेकर उन्हें दान पावती / रसीद प्रदान करना।